Tag Archives: वहीदा रहमान

पर्बतों के पेड़ों पर…

पर्बतों के पेड़ों पर, शाम का बसेरा है सुरमई  उजाला है, चंपई अँधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं, दो दिलों की सूरत से आसमाँ ने खुश होकर, रंग सा बिखेरा है

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रात भी है कुछ भीगी-भीगी…

रात भी है कुछ भीगी-भीगी, चाँद भी कुछ है मद्धम-मद्धम तुम आओ तो आँखें खोले, सोई हुई पायल की छम-छम

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मारे गये गुलफ़ाम…

(Maare Gaye Gulfaam, Aji Haan Maare Gaye Gulfaam) मारे गये गुलफ़ाम, अजी हाँ मारे गये गुलफ़ाम * उल्फ़त भी रास न आई, अजी हाँ मारे गये गुलफ़ाम एक सब्ज़परी देखी, और दिल को गँवा बैठे * मस्ताना निगाहों पर, फिर … Continue reading

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