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Tag Archives: जीवन-सूत्र
देनदार कोउ और है…
देनदार कोउ और है, देत रहत दिन-रैन । लोग भरम हम पर करें, ताते नीचे नैन ।। कवि: अब्दुर्रहीम खान खाना / Abdul Rahim Khan-I-Khana
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged Abdul Rahim Khan-I-Khana, Pearls of Wisdom, Poems, Rahim, अब्दुर्रहीम खान खाना, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जीवन-सूत्र, नीति के दोहे, रहीम, रहीम के दोहे, लोकोक्तियाँ, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस
एक बार बहुत पहले ये कविता कहीं पढ़ी थी। लिखी तो गयी थी ये संभवतः साठ-सत्तर के दशक के भारत के लिये। पर आज तो लगता है कि जैसे ये अब ग्रीस (यूनान) पर भी चरितार्थ होती है: आय इकाई, … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor
Tagged Poems, Satire, Unknown Author(s), अज्ञात, उर्दू (हिन्दुस्तानी), ग्रीस, जीवन-सूत्र, भारत, भ्रष्टाचार, यूनान, व्यंग्य, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली…
क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली, फिर कौन किसी का होता है ऐ दुनिया वालो सच कहो, क्या प्यार भी झूठा होता है
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1951, Afsana, Asad Bhopali, Husnlal Bhagatram, Mukesh, Sad Songs, असद भोपाली, अफ़साना, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जीवन-सूत्र, दर्द भरे नग्मे, मुकेश, हिन्दी, हिन्दी पद्य, हुस्नलाल भगतराम, फ़िल्मी गीत, १९५१
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सुभाषित : शोक का प्रभाव
मूल संस्कृत पद्य शोको नाशयते धैर्य, शोको नाशयते श्रॄतम्। शोको नाशयते सर्वं, नास्ति शोकसमो रिपु॥
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sanskrit | संस्कृत
Tagged Classical Indian Texts, Pearls of Wisdom, Subhashit, जीवन-सूत्र, लोकोक्तियाँ, संस्कृत, सुभाषित
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नीति-शतक : न्याय का पथ
मूल संस्कृत पद्य निन्दन्तु नीतिनिपुणा, यदि वा स्तुवन्तु लक्ष्मीः स्थिरा भवतु, गच्छतु वा यथेष्टम् । अद्यैव वा मरणमस्तु, युगान्तरे वा न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति, पदं न धीराः ।। ७४ ।।
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sanskrit | संस्कृत
Tagged Bhartrihari, Classical Indian Texts, Moolchandra Pathak, Neeti Shatak, Pearls of Wisdom, Social Theme, Subhashit, जीवन-सूत्र, नीति-शतक, भर्तृहरि, मूलचंद्र पाठक, लोकोक्तियाँ, संस्कृत, सुभाषित
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