Tag Archives: अज्ञात

ज़िन्दगी का सफ़र

बिना लिबास के आये थे इस जहाँ में एक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा — Bina libaas ke aaye the is jahaan mein Ek kafan ki khaatir, itna safar karna pada — (रचना: अज्ञात / डॉ. राकेश किशोर … Continue reading

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अति का वर्जन

अति गुणी अति निर्गुणी, अति दाता अति सूर इन चारौं से लक्ष्मी, सदा रहत हैं दूर ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) … Continue reading

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कर्महीन

कहा दोष करतार को, कर्म कुटिल गह बाँह कर्महीन किलपत रहै, कल्प वृक्ष की छाँह ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) श्री … Continue reading

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आपका इंतज़ार क्या करते

जीस्त को पुर-बहार क्या करते दिल ही था सोगवार क्या करते आपके ग़म की बात है वरना खुद को हम बेक़रार क्या करते

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ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की

ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की ऊसर में काश्त की !

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