Tag Archives: Poems

आवारा (मजाज़ लखनवी)

शहर की रात और मैं, नाशाद-ओ-नाकारा फिरूँ जगमगाती जागती, सड़कों पे आवारा फिरूँ ग़ैर की बस्ती है, कब तक दर-ब-दर मारा फिरूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ

Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani) | Tagged , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , | Comments Off on आवारा (मजाज़ लखनवी)

आधुनिक चोर

दोपहरी में चोर दुकान का, तोड़ रहा था ताला पुलिसमैन था खड़ा सड़क पर, बोले उससे लाला खड़े-खड़े क्या देख रहे हो, पकड़ो उसे सिपाही कहा सिपाही ने तब, इसको मैं नहीं पकड़ता भाई आगे चलकर ये मेरी सर्विस को … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , , , , | Comments Off on आधुनिक चोर

शास्त्रीय संगीत (काका हाथरसी)

तम्बूरा ले मंच पर, बैठे प्रेमप्रताप, साज मिले पंद्रह मिनिट, घंटाभर आलाप। घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता, धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। कहें काका, सम्मेलन में सन्नाटा छाया, श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया।

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , | Comments Off on शास्त्रीय संगीत (काका हाथरसी)

व्यंग्यकार (शैल चतुर्वेदी)

हमनें एक बेरोज़गार मित्र को पकड़ा और कहा, “एक नया व्यंग्य लिखा है, सुनोगे?” तो बोला, “पहले खाना खिलाओ।” खाना खिलाया तो बोला, “पान खिलाओ।” पान खिलाया तो बोला, “खाना बहुत बढ़िया था उसका मज़ा मिट्टी में मत मिलाओ। अपन … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , | Comments Off on व्यंग्यकार (शैल चतुर्वेदी)

हमारे ऐसे भाग्य कहाँ (शैल चतुर्वेदी)

एक दिन अकस्मात एक पुराने मित्र से हो गई मुलाकात हमने कहा-“नमस्कार।” वे बोले-“ग़ज़ब हो गया यार! क्या खाते हो जब भी मिलते हो पहले से डबल नज़र आते हो?”

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , , , , , | Comments Off on हमारे ऐसे भाग्य कहाँ (शैल चतुर्वेदी)