दोपहरी में चोर दुकान का, तोड़ रहा था ताला
पुलिसमैन था खड़ा सड़क पर, बोले उससे लाला
खड़े-खड़े क्या देख रहे हो, पकड़ो उसे सिपाही
कहा सिपाही ने तब, इसको मैं नहीं पकड़ता भाई
आगे चलकर ये मेरी सर्विस को खो सकता है
सरेआम चोरी करता है, मंत्री हो सकता है
—
रचना: अज्ञात
स्मृति के आधार पर साभार उद्धृत