Tag Archives: शेरो-शायरी

चंद रोज़ और मेरी जान…

चंद रोज़ और मेरी जान, फकत चंद ही रोज़ ज़ुल्म की छाँव में दम लेने को, मज़बूर हैं हम और कुछ देर सितम सह लें, तड़प लें, रो लें अपने अज्दाद की मीरास हैं, माज़ूर हैं हम

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हौसला

वो ज़िन्दगी का सफ़र हो कि जंग का मैदान मुहाज़ कोई भी हो, हौसला ज़रूरी है * —- * शब्दार्थ मुहाज़ = (war) front —- शेर: इदरीस ज़िया डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण … Continue reading

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क़हर हो या बला

क़हर हो या बला हो, जो कुछ हो काश कि तुम मेरे लिये होते । शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 31,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– … Continue reading

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मोहब्बत का फ़साना

एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है। शेर: जिगर मुरादाबादी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 3,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– Ek lafz-e-mohabbat … Continue reading

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“आपकी क़सम” / Aapki Qasam

आप ख़ुद ही सोचिये मैं हूँ उन्हें कितना अज़ीज़ वो ख़ुदा को छोड़कर मेरी क़सम खाने लगे शेर: शकील बदायूँनी 

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