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Tag Archives: विनय वाईकर
क़हर हो या बला
क़हर हो या बला हो, जो कुछ हो काश कि तुम मेरे लिये होते । शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 31,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– … Continue reading
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मोहब्बत का फ़साना
एक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है। शेर: जिगर मुरादाबादी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 3,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत —– Ek lafz-e-mohabbat … Continue reading
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“आपकी क़सम” / Aapki Qasam
आप ख़ुद ही सोचिये मैं हूँ उन्हें कितना अज़ीज़ वो ख़ुदा को छोड़कर मेरी क़सम खाने लगे शेर: शकील बदायूँनी
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क़िस्मत / Kismat
उन्हें ठहरे समुन्दर ने डुबोया जिन्हें तूफाँ का अंदाज़ा बहुत था शेर: डॉ. मंज़ूर अहमद मंज़ूर डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर, पृष्ठ 1) से साभार उद्धृत —– Unhen thahre … Continue reading
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मुहब्बत का अंजाम / Muhabbat Ka Anjaam
ऐ मुहब्बत, तेरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यों आज, तेरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
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