Author Archives: Rajnish Tiwari

तस्वीर बनाता हूँ तेरी ख़ून-ए-जिगर से

तस्वीर बनाता हूँ तेरी, ख़ून-ए-जिगर से देखा है तुझे मैंने, मुहब्बत की नज़र से

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ज़माने का दस्तूर है ये पुराना

ज़माने का दस्तूर, है ये पुराना मिटा कर बनाना, बना कर मिटाना ज़माने का दस्तूर, है ये पुराना

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ज़िंदगी ईनाम-ए-कुदरत है…

कहते हैं मुझसे, ज़िंदगी ईनाम-ए-कुदरत है सज़ा क्या होगी उसकी, जिसका ये ईनाम है साकी

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तुम जिस पे नज़र डालो, उस दिल का ख़ुदा हाफ़िज़

तुम जिस पे नज़र डालो, उस दिल का ख़ुदा हाफ़िज़ क़ातिल की ख़ुदा जाने, बिस्मिल का ख़ुदा हाफ़िज़

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दहेज की बारात

जा दिन एक बारात को मिल्यौ निमंत्रण-पत्र फूले-फूले हम फिरें, यत्र-तत्र-सर्वत्र यत्र-तत्र-सर्वत्र, फरकती बोटी-बोटी बा दिन अच्छी नाहिं लगी अपने घर रोटी कहँ ‘काका’ कविराय, लार म्हौंड़े सों टपके कर लड़ुअन की याद, जीभ स्याँपन सी लपके

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