Tag Archives: Satire

नगरपालिका वर्णन

पार्टीबंदी हों जहाँ, घुसे अखाड़ेबाज़ मक्खी, मच्छर, गंदगी का रहता हो राज का रहता हो राज, सड़क हों टूटी – फूटी नगरपिता मदमस्त, छानते रहते बूटी कहँ ‘काका’ कविराय, नहीं वह नगरपालिका बोर्ड लगा दो उसके ऊपर ‘नरकपालिका’

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चंद्रयात्रा और नेता का धंधा

ठाकुर ठर्रा सिंह से बोले आलमगीर पहुँच गये वो चाँद पर, मार लिया क्या तीर? मार लिया क्या तीर, लौट पृथ्वी पर आये किये करोड़ों ख़र्च, कंकड़ी मिट्टी लाये ‘काका’, इससे लाख गुना अच्छा नेता का धंधा बिना चाँद पर … Continue reading

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रिंदों की सोच

रोज़ रात को पी, सुबह उठ के तौबा कर ली रिंद के रिंद रहे, हाथ से जन्नत न गई

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सूरज, ज़रा, आ पास आ….

सूरज, ज़रा, आ पास आ, आज सपनों की रोटी पकायेंगे हम ऐ आसमाँ, तू बड़ा मेहरबाँ आज तुझको भी दावत खिलायेंगे हम

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नेताओं द्वारा शहीदों का शोषण और शहीद होने की व्यर्थता

कंधे पर लदे बेताल ने विक्रमादित्य से कहा, राजन, मेरे एक प्रश्न का उत्तर दो अन्यथा तुम्हारा सर धड़ से अलग हो जायेगा, तुम्हारा अस्तित्व हमेशा के लिये खो जायेगा

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