पार्टीबंदी हों जहाँ, घुसे अखाड़ेबाज़
मक्खी, मच्छर, गंदगी का रहता हो राज
का रहता हो राज, सड़क हों टूटी – फूटी
नगरपिता मदमस्त, छानते रहते बूटी
कहँ ‘काका’ कविराय, नहीं वह नगरपालिका
बोर्ड लगा दो उसके ऊपर ‘नरकपालिका’
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रचना : काका हाथरसी
‘काका की फुलझड़ियाँ’ पुस्तक ( डायमण्ड पॉकेट बुक्स , नई दिल्ली , संस्करण २००२ ) से साभार उद्धृत
Source: http://www.india-world.net/entertainment/humor/hindi/kaka/nagarpalika.html