Tag Archives: शेरो-शायरी

आँखों से दूर, सुबह के तारे चले गए

आंखों से दूर सुबहा के तारे चले गये नींद आ गई तो ग़म के नज़ारे चले गये दिल था किसी की याद में मसरूफ़ और हम शीशे में ज़िन्दगी को उतारे चले गये

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खुदा निगहबान हो तुम्हारा…

मुखड़ा: वो आई सुबह के पर्दे से मौत की आवाज़ किसी ने तोड़ दिया जैसे ज़िंदगी का साज गीत: खुदा निगहबान हो तुम्हारा, धड़कते दिल का पयाम ले लो तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं, उठो हमारा सलाम ले लो … Continue reading

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न मंदिर में सनम होते, न मस्जिद में खुदा होता

न मंदिर में सनम होते, न मस्जिद में खुदा होता हमीं से यह तमाशा है, न हम होते तो क्या होता

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फ़क़ीराना आये सदा कर चले

फ़क़ीराना आये सदा कर चले मियाँ खुश रहो हम दुआ कर चले

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मुहब्बत करने वालों की परस्तिश कर

परस्तिश* कर, मुहब्बत करने वालों की परस्तिश कर खुदा होता है दिल में, जब मुहब्बत दिल में होती है —- शेर: बिस्मिल सईदी

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