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बाज़ार का ये हाल है (शैल चतुर्वेदी)

बाज़ार का ये हाल है कि ग्राहक पीला और दुकानदार लाल है दूध वाला कहता है- “दूध में पानी क्यों है गाय से पूछो।” गाय कहेगी-“पानी पी रहीं हूँ तो पानी ही तो दूंगी दूध वाला मेरे प्राण ले रहा … Continue reading

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भारत और भिखारी (शैल चतुर्वेदी)

लोकल ट्रेन से उतरते ही हमने सिगरेट जलाने के लिए एक साहब से माचिस माँगी तभी किसी भिखारी ने हमारी तरफ हाथ बढ़ाया हमने कहा- “भीख माँगते शर्म नहीं आती?” वो बोला- “माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या”

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सरकार

पतिदेव दफ्तर से घर आकर पत्नी से बोले मुस्करा कर ये सजधज, ये श्रृंगार क्या इरादा है सरकार

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पुलिस-महिमा (काका हाथरसी)

पड़ा – पड़ा क्या कर रहा , रे मूरख नादान दर्पण रख कर सामने , निज स्वरूप पहचान निज स्वरूप पह्चान , नुमाइश मेले वाले झुक – झुक करें सलाम , खोमचे – ठेले वाले कहँ ‘ काका ‘ कवि … Continue reading

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पिल्ला होने का सुख

पिल्ला बैठा कार में, मानुष ढोवें बोझ भेद न इसका मिल सका, बहुत लगाई खोज बहुत लगाई खोज, रोज़ साबुन से न्हाता देवी जी के हाथ, दूध से रोटी खाता कहँ ‘काका’ कवि, माँगत हूँ वर चिल्ला-चिल्ला पुनर्जन्म में प्रभो! … Continue reading

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