सरकार

पतिदेव दफ्तर से घर आकर
पत्नी से बोले मुस्करा कर
ये सजधज, ये श्रृंगार
क्या इरादा है सरकार


पति का ये संबोधन सुनकर
पत्नी बोली रुआंसी होकर
देखिये, आप हमें और कुछ भी कह लीजिये
मगर सरकार मत कहिये
हम भी अख़बार पढ़ते हैं
सरकार क्या होती है, सब समझते हैं
अगर आप हमें भविष्य में सरकार कहकर बुलायेंगे
तो याद रखना पछतायेंगे
मेरा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा
पर आपके हाल हिंदुस्तान जैसे हो जायेंगे


रचना: अज्ञात
स्मृति के आधार पर साभार उद्धृत

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