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Tag Archives: हिन्दी पद्य
शहरी जेबकतरा
बस में अपनी जेब कटती देख, यात्री ने शोर मचाया जेबकतरा उसे पकड़ कर थाने लाया और थानेदार से बोला, हुज़ूर, यह आदमी शहर में अव्यवस्था फैलाता है हमें शांतिपूर्वक जेब नहीं काटने देता गँवारों की तरह चिल्लाता है थानेदार … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature
Tagged Satire, Unknown Author(s), अज्ञात, ओशो, भारत, भ्रष्टाचार, राजनीति, व्यंग्य, सामाजिक बुराइयाँ, सामाजिक समस्यायें, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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दशकों बाद …
दशकों बाद मुझसे किसी की मुलाकात हुई । शांत पानी में छलकती एक प्रतिबिम्ब की तरह, उपवन के उस कोने में खिले उस अनजाने गुलाब की अनजानी सुगंध की तरह, वर्षा की पहली फुहार के साथ, खिड़की से आती उस … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged Arvind Sinha, Poems, अरविंद सिन्हा, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस
एक बार बहुत पहले ये कविता कहीं पढ़ी थी। लिखी तो गयी थी ये संभवतः साठ-सत्तर के दशक के भारत के लिये। पर आज तो लगता है कि जैसे ये अब ग्रीस (यूनान) पर भी चरितार्थ होती है: आय इकाई, … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor
Tagged Poems, Satire, Unknown Author(s), अज्ञात, उर्दू (हिन्दुस्तानी), ग्रीस, जीवन-सूत्र, भारत, भ्रष्टाचार, यूनान, व्यंग्य, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली…
क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली, फिर कौन किसी का होता है ऐ दुनिया वालो सच कहो, क्या प्यार भी झूठा होता है
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1951, Afsana, Asad Bhopali, Husnlal Bhagatram, Mukesh, Sad Songs, असद भोपाली, अफ़साना, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जीवन-सूत्र, दर्द भरे नग्मे, मुकेश, हिन्दी, हिन्दी पद्य, हुस्नलाल भगतराम, फ़िल्मी गीत, १९५१
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ज़माने का दस्तूर है ये पुराना
ज़माने का दस्तूर, है ये पुराना मिटा कर बनाना, बना कर मिटाना ज़माने का दस्तूर, है ये पुराना
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged 1950, Anil Biswas, Lajawab, Lata Mangeshkar, Mukesh, Prem Dhawan, Sad Songs, अनिल बिस्वास, उर्दू (हिन्दुस्तानी), दर्द भरे नग्मे, प्रेम धवन, मुकेश, लता मंगेश्कर, लाजवाब, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९५०
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