Tag Archives: Poems

बाज़ार का ये हाल है (शैल चतुर्वेदी)

बाज़ार का ये हाल है कि ग्राहक पीला और दुकानदार लाल है दूध वाला कहता है- “दूध में पानी क्यों है गाय से पूछो।” गाय कहेगी-“पानी पी रहीं हूँ तो पानी ही तो दूंगी दूध वाला मेरे प्राण ले रहा … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , , , , | Comments Off on बाज़ार का ये हाल है (शैल चतुर्वेदी)

भारत और भिखारी (शैल चतुर्वेदी)

लोकल ट्रेन से उतरते ही हमने सिगरेट जलाने के लिए एक साहब से माचिस माँगी तभी किसी भिखारी ने हमारी तरफ हाथ बढ़ाया हमने कहा- “भीख माँगते शर्म नहीं आती?” वो बोला- “माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या”

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , , | Comments Off on भारत और भिखारी (शैल चतुर्वेदी)

सरकार

पतिदेव दफ्तर से घर आकर पत्नी से बोले मुस्करा कर ये सजधज, ये श्रृंगार क्या इरादा है सरकार

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , | Comments Off on सरकार

तेली कौ ब्याह (काका हाथरसी)

भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल गली-गली फेरी करै, ‘तेल लेऊ जी तेल’ ‘तेल लेऊ जी तेल’, कड़कड़ी ऐसी बोली बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ एक साल तक तेली … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , | Comments Off on तेली कौ ब्याह (काका हाथरसी)

दाढ़ी- महिमा (काका हाथरसी)

‘काका’ दाढ़ी राखिए, बिन दाढ़ी मुख सून ज्यों मंसूरी के बिना, व्यर्थ देहरादून व्यर्थ देहरादून, इसी से नर की शोभा दाढ़ी से ही प्रगति कर गए संत बिनोवा मुनि वसिष्ठ यदि दाढ़ी मुंह पर नहीं रखाते तो भगवान राम के … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , | Comments Off on दाढ़ी- महिमा (काका हाथरसी)