Monthly Archives: February 2011

हमारे ऐसे भाग्य कहाँ (शैल चतुर्वेदी)

एक दिन अकस्मात एक पुराने मित्र से हो गई मुलाकात हमने कहा-“नमस्कार।” वे बोले-“ग़ज़ब हो गया यार! क्या खाते हो जब भी मिलते हो पहले से डबल नज़र आते हो?”

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बाज़ार का ये हाल है (शैल चतुर्वेदी)

बाज़ार का ये हाल है कि ग्राहक पीला और दुकानदार लाल है दूध वाला कहता है- “दूध में पानी क्यों है गाय से पूछो।” गाय कहेगी-“पानी पी रहीं हूँ तो पानी ही तो दूंगी दूध वाला मेरे प्राण ले रहा … Continue reading

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भारत और भिखारी (शैल चतुर्वेदी)

लोकल ट्रेन से उतरते ही हमने सिगरेट जलाने के लिए एक साहब से माचिस माँगी तभी किसी भिखारी ने हमारी तरफ हाथ बढ़ाया हमने कहा- “भीख माँगते शर्म नहीं आती?” वो बोला- “माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या”

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सरकार

पतिदेव दफ्तर से घर आकर पत्नी से बोले मुस्करा कर ये सजधज, ये श्रृंगार क्या इरादा है सरकार

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तेली कौ ब्याह (काका हाथरसी)

भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल गली-गली फेरी करै, ‘तेल लेऊ जी तेल’ ‘तेल लेऊ जी तेल’, कड़कड़ी ऐसी बोली बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ एक साल तक तेली … Continue reading

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