दिल्लगी, दिल्लगी नहीं नासेह
तेरे दिल को अभी लगी ही नहीं
शेर: दाग़
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* शब्दार्थ
नासेह = उपदेशक, सदोपदेशक (preecher)
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डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 110,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत
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Dillagi, dillagi nahin naaseh,
Tere dil ko abhi lagi hi nahin
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Sher/Couplet: Daag (Daagh)
Gratefully excerpted from “Aaina-e-Ghazal” of Dr. Zarina Sani and Dr. Vinay Waikar, 5th revised edition, 2002, p. 110, Shree Mangesh Prakashan, Nagpur.