मस्जिद तो बना दी शब भर में, ईमाँ की हरारत वालों ने
दिल अपना पुराना पापी है, बरसों में नमाज़ी हो न सका
शेर: इक़बाल
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* शब्दार्थ
शब = निशा, रजनी, यामिनी, रात्रि, रात (night)
हरारत = उष्णता, गर्मी; हल्का ज्वर, हल्का बुखार (heat, light fever)
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डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 105,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत
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Masjid to banaa di shab bhar mein, imaan ki haraarat waalon ne
Dil apna puraana paapi hai, barson mein namaazi ho na saka
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Sher/Couplet: Iqbal
Gratefully excerpted from “Aaina-e-Ghazal” of Dr. Zarina Sani and Dr. Vinay Waikar, 5th revised edition, 2002, p. 105, Shree Mangesh Prakashan, Nagpur.