Tag Archives: Poems

तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस

एक बार बहुत पहले ये कविता कहीं पढ़ी थी। लिखी तो गयी थी ये संभवतः साठ-सत्तर के दशक के भारत के लिये। पर आज तो लगता है कि जैसे ये अब ग्रीस (यूनान) पर भी चरितार्थ होती है: आय इकाई, … Continue reading

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क्या उम्मीद करें हम उनसे…

क्या उम्मीद करें हम उनसे, जिनको वफ़ा मालूम नहीं ग़म देना मालूम है लेकिन, ग़म की दवा मालूम नहीं

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उनका ग़म

हर ख़ुशी दिल को ग़मगीन किये जाती है इक तेरे ग़म से ज़िंदगी शादाब हुई जाती है

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श्रृंगार-शतक : रमणियाँ

मूल संस्कृत पद्य स्मितेन भावेन च लज्जया भिया पराङ्गमुखैरर्धकटाक्षवीक्षणैः । वचोभिरीर्ष्याकलहेन लीलया समस्तभावैः खलु बन्धनं स्त्रियः ।। २ ।।

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श्रृंगार-शतक : स्त्रियों के आभूषण और अस्त्र

मूल संस्कृत पद्य भ्रूचातुर्यात्कुञ्चिताक्षाः कटाक्षाः स्निग्धा वाचो लज्जितान्ताश्च  हासाः । लीलामन्दं प्रस्थितं च स्थितं च स्त्रीणामेतद्  भूषणं चायुधं च ।। ३ ।। —

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