Tag Archives: शेरो-शायरी

दिल्लगी

दिल्लगी, दिल्लगी नहीं नासेह तेरे दिल को अभी लगी ही नहीं शेर: दाग़

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रिंदों की सोच

रोज़ रात को पी, सुबह उठ के तौबा कर ली रिंद के रिंद रहे, हाथ से जन्नत न गई

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मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा

मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे मैं हूँ सोज़-ए-इश्क़ से जाँबलब, मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे

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बेकस पे करम कीजिये सरकार-ए-मदीना

मुखड़ा: ऐ मेरे मुश्किल-कुशा, फ़रियाद है – फ़रियाद है आपके होते हुये दुनिया मेरी बरबाद है गीत: बेकस पे करम कीजिये, सरकार-ए-मदीना गर्दिश में है तक़दीर, भँवर में है सफ़ीना बेकस पे करम कीजिये…

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इश्क़ का दर्द

नहीं इश्क़ का दर्द लज़्ज़त से खाली जिसे ज़ौक है, वो मज़ा जानता है — शेर: मीर तक़ी ‘मीर’ (१७२३-१८१०)

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