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Tag Archives: बुंदेलखंड
सावन में आल्हा-पाठ : सेना के कूच का वर्णन
बुंदेलखंड में सावन के महीने में बरसात की रिमझिम के बीच “आल्हा” गाने का प्रचलन है। वीर-रस के इस काव्य में महोबा के चंदेल शासकों और उनके बनाफर सामंतों आल्हा और ऊदल की शौर्य गाथाओं का वर्णन है। सोचा इस … Continue reading
Posted in Allgemein, Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged Alha, Bundelkhand, Chandelas, Indian History, Mahoba, आल्हखण्ड, आल्हा, ऊदल, बुंदेलखंड, मलखान, महावती नगर, महोत्सव नगर, महोबा, वीर रस, हिन्दी
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आल्हा जयंती पर आल्हा की याद में….
रामांशं तं शिशुं ज्ञात्वा प्रसन्नवदनं शुभम् । भाद्रकृष्णतिथौ षष्ठयां चन्द्रवारे अरुणोदये ।। १५ सञ्जातः कृत्तिकाभे च पितृवंशयशस्करः । आह्लाद नाम्राह्यभवत्प्रश्रितश्च महीतले ।। १६ आज, अर्थात २८ मई २०१७ को, पञ्चाङ्ग पर नज़र गई तो देखा कि २५ मई को आल्हा … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sanskrit | संस्कृत
Tagged Alha, Chandelas, Indian History, Mahabharat, Mahoba, Udal, आल्हखण्ड, आल्हा, ऊदल, कृष्ण, पृथ्वीराज रासो, बुंदेलखंड, भगवान राम, मलखान, महाभारत, महावती नगर, महोत्सव नगर, महोबा, युधिष्ठर, वीर रस, सुलखान
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अति का वर्जन
अति गुणी अति निर्गुणी, अति दाता अति सूर इन चारौं से लक्ष्मी, सदा रहत हैं दूर ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged Bundelkhand, Doha Gyan Amrit Sagar, Folk Wisdom, Pearls of Wisdom, Unknown Author(s), अज्ञात, जीवन-सूत्र, देवीदीन विश्वकर्मा, दोहा ज्ञान अमृत सागर, नीति के दोहे, बुंदेलखंड, बुन्देलखंड, बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ, लोकोक्तियाँ, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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कर्महीन
कहा दोष करतार को, कर्म कुटिल गह बाँह कर्महीन किलपत रहै, कल्प वृक्ष की छाँह ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) श्री … Continue reading
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