आल्हा जयंती पर आल्हा की याद में….

रामांशं तं शिशुं ज्ञात्वा प्रसन्नवदनं शुभम् । भाद्रकृष्णतिथौ षष्ठयां चन्द्रवारे अरुणोदये ।।  १५
सञ्जातः कृत्तिकाभे च पितृवंशयशस्करः । आह्लाद नाम्राह्यभवत्प्रश्रितश्च महीतले ।।  १६  

आज, अर्थात २८ मई २०१७ को, पञ्चाङ्ग पर नज़र गई तो देखा कि २५ मई को आल्हा जयंती थी। इसके पहले मुझे मालूम ही नहीं था कि इस पूर्व-मुग़ल कालीन और पूर्व-सल्तनत कालीन (१२वीं शताब्दी के) ऐतिहासिक पुरुष का जन्मदिन न सिर्फ़ ज्ञात है, बल्कि पञ्चाङ्ग (लाला रामस्वरूप रामनारायन) में भी अंकित होता है।

हिंदी साहित्य के विषय में जिस ने भी स्कूल में पढ़ा है, उसने वीर रस काल, और उसके महाकाव्यों, के बारे में कुछ तो पढ़ा ही होगा।  जो दो महाकाव्य वीर रस काल के प्रसिद्ध हैं, उनमें से एक तो है जगनिक का “आल्हखण्ड”, इसके तो नाम से ही ज़ाहिर है कि यह आल्हा के विषय में है।  दूसरा महाकाव्य है चंद वरदाई का “पृथ्वीराज रासो”। इन दोनों ही महाग्रंथों में आल्हा और उनके छोटे भाई ऊदल (तथा चचेरे भाइयों मलखान और सुलखान) की शौर्यगाथा वर्णित है।

Alha Chowk in Mahoba (source: http://ecourts.gov.in/Mahoba/Mahoba_History)

आल्हा, ऊदल और उनका परिवार (बनाफर वंशीय क्षत्रिय) महोबा के चंदेल राजा परिमाल (परिमर्द देव) के सामंत थे। बुंदेलखंड के महोबा शहर का प्राचीन नाम महोत्सव नगर और भविष्य महापुराण के अनुसार महावती नगर था। लोकगाथा में अक्सर इन भाइयों को क्रमशः युधिष्ठर और भीम का अवतार माना जाता है। उस समय के लगभग सारे किरदार महाभारत के किरदारों से जोड़े जाते हैं जो कि कथित रूप से शिवजी के श्राप से कलियुग में पुनः अवतरित हुए और पांडवों ने अपने अभिमान का प्रायश्चित इस तरह से किया कि इस बार धर्मनिष्ठ पांडवों की मृत्यु कुरीति पर चलने वाले कौरवों के हाथों हुई, जो कि दिल्ली में पृथ्वीराज चौहान और उनके साथियों के रूप में जन्मे थे। जैसे अर्जुन का जन्म राजा परिमाल के बेटे ब्रह्मा के रूप में, द्रौपदी का पृथ्वीराज चौहान की बेटी बेला के रूप में और शकुनि का जन्म उरई के राजा माहिल (महीपति) के रूप में माना जाता है।  नकुल और सहदेव को क्रमशः आल्हा के चचेरे छोटे भाई मलखान और कन्नौज के राजा जयचंद के भतीजे लाखन के रूप में अवतरित माना जाता है।  आल्हा-गायन में पृथ्वीराज चौहान को अक्सर दुर्योधन का अवतार माना जाता है।  लेकिन यह मान्यतायें समय, शास्त्र और क्षेत्र के हिसाब से बदलती रहती हैं।  उदाहरण के लिये भविष्य महापुराण में इस कथा में थोड़ा मोड़ है। पुराण के मुताबिक़ पांडवों का साथ देने के लिए भगवान कृष्ण ने भी पुनः पृथ्वी पर आने का वचन दिया था और कहा था कि वह स्वयं ऊदल के रूप में (कृष्णांश) और उनका राम का स्वरूप आल्हा के भेष में पांडवों का साथ देने के लिए अवतरित होगा।

इस वजह से भविष्य महापुराण में आल्हा को भगवान राम का अंशावतार बताया गया है। उनके जन्म का वर्णन भविष्य महापुराण में इस तरह से उल्लिखित है :

“… समय पाकर गौरवर्ण, कमलवत नेत्र एवं अपनी आभा से दैदीप्यमान संतान के उत्पन्न होते ही देवताओं के सहित इंद्र आनंदित हुए।  शंखों की ध्वनि और बार-बार जय शब्द होने लगे।  दिशायें हरी-भरी दिखने लगीं। उसी भाँति आकाश में ग्रहगण प्रसन्नता प्रकट कर रहे थे। वेद-शास्त्र के पारगामी अनेक ब्राह्मण विद्वानों ने वहाँ एकत्र होकर उस शिशु का जातकर्म एवं नामकरण सविधान सुसंपन्न किया। शुभ एवं प्रसन्नमुख वाले उस पुत्र को, जो भाद्र कृष्ण की षष्ठी चंद्रवार के दिन अरुणोदय वेला तथा कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न एवं अपने पितृवंश को यशस्वी बनाने वाला था, राम का अंश जानकर उसका ‘आह्लाद’ (आल्हा)* नामकरण किया।  वह बालक इसी नाम से भूतल में ख्याति प्राप्त किया।”

(द्वितीय खंड, अष्टमोध्याय, श्लोक १२ -१६)

अर्थात भविष्य महापुराण आल्हा का जन्म वैसे तो ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की अमावस्या को नहीं बताता है, लेकिन यह संस्मरण उल्लेखनीय है क्योंकि आल्हा के विषय में अधिकतर जानकारी भविष्य महापुराण से नहीं बल्कि लोकोक्तियों पर आधारित है।

पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में अंतिम लड़ाई के लिये जाते हुए “आल्हा का मरने का सामान करके अर्थात तुलसी सालिगराम सिला आदि सिर पर बाँध करके लड़ाई के लिये आगे” बढ़ने का ज़िक्र है (छं. ५३७, पृ. २०१८)।

Note:

* >> In Sanskrit, Ahlada [.] means “refreshing, reviving, gladdening”
(from a-hlad, “to refresh,” etc.), and also “joy,” as when, emerging
from a period of madness << (Hiltebeitel 1999 : 134). According to Hiltebeitel, Bhavishya Puran means by this not Ram, the hero-king of the Ramayana, but Balarama, elder brother of Krishna, who has taken a partial incarnation (“ansha-avatar”) in the form of the warrior-hero Alha of Mahoba.

The photo on the Wikipedia page intending to depict Alha errneously depicts Udal, the younger brother.

References

  • मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या / श्यामसुंदर दास (संपादक): पृथ्वीराज रासो, भाग – २, द्वितीय नवीन संस्करण, नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी / नई दिल्ली, 1993
  • पंडित बाबूराम उपाध्याय (अनुवादक): भविष्य महापुराणम (द्वितीय खण्ड) मध्यम एवं प्रतिसर्गपर्व (हिंदी-अनुवाद सहित), हिन्दी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग, 2006
  • Hiltebeitel, A. (1999). Rethinking India’s Oral and Classical Epics: Draupadi among Rajputs, Muslims and Dalits. Chicago, The University of Chicago Press.

( रजनीश तिवारी द्वारा संकलित )

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