चीन-ओ-अरब हमारा, हिन्दोस्ताँ हमारा

Happy Independence Day 2012 / स्वतंत्रता दिवस २०१२

आज़ादी के 65 वर्ष पूरे हुये… एक तरफ एक ऐसी स्वतंत्रता की ख़ुशी जिसके लिये लाखों-करोड़ों लोगों ने कोई आठ सौ वर्ष कमोबेश परतंत्र के दुःख झेले, दूसरी तरफ अभी भी बहुत कुछ न बदल पाने का अहसास. साहिर की ये पंक्तियाँ जिनमें दर्द और आशा दोनों भरे हैं, याद आती हैं:

चीन-ओ-अरब हमारा, हिन्दोस्ताँ हमारा
रहने को घर नहीं है, सारा जहाँ हमारा

खोली भी छिन गई है, बेन्चें भी छिन गई हैं
सड़कों पे घूमता है, अब कारवाँ हमारा

जेबें हैं अपनी खाली, क्यों देता वर्ना गाली
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा

जितनी भी बिल्डिंगें थीं, सेठों ने बाँट ली हैं
फ़ुटपाथ बम्बई के, हैं आशियाँ हमारा

सोने को हम कलन्दर, आते हैं बोरी बन्दर
हर एक कुली यहाँ का, है राज़दाँ हमारा

तालीम है अधूरी, मिलती नही मजूरी
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा

पतला है हाल अपना, लेकिन लहू है गाढ़ा
फौलाद से बना है, हर नौजवाँ हमारा

मिल-जुल के इस वतन को, ऐसा सजायेंगे हम
हैरत से मुँह तकेगा, सारा जहाँ हमारा

चलचित्र: फिर सुबह होगी (1958) / Film: Phir Subah Hogi (1958)
गीत: साहिर लुधियानवी / Lyrics: Sahir Ludhiyanvi
गायक: मुकेश / Singer: Mukesh
संगीत: खय्याम / Music: Khayyam
अभिनेता: राज कपूर / Actor: Raj Kapoor


This entry was posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Patriotic, Urdu (Hindustani) and tagged , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , . Bookmark the permalink.