Monthly Archives: December 2012

अज़्म-ए-इन्साँ / Azm-e-insaan

अज़्म-ए-इन्साँ  है कि बन जाये फ़रिश्ता लेकिन। हर फ़रिश्ते को ये हसरत है कि इन्साँ  होता।। (*अज़्म = ख्वाहिश, संकल्प, determination) शेर: बिस्मिल सईदी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, श्री मंगेश प्रकाशन, … Continue reading

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मारे गये गुलफ़ाम…

(Maare Gaye Gulfaam, Aji Haan Maare Gaye Gulfaam) मारे गये गुलफ़ाम, अजी हाँ मारे गये गुलफ़ाम * उल्फ़त भी रास न आई, अजी हाँ मारे गये गुलफ़ाम एक सब्ज़परी देखी, और दिल को गँवा बैठे * मस्ताना निगाहों पर, फिर … Continue reading

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