अज़्म-ए-इन्साँ है कि बन जाये फ़रिश्ता लेकिन।
हर फ़रिश्ते को ये हसरत है कि इन्साँ होता।।
(*अज़्म = ख्वाहिश, संकल्प, determination)
शेर: बिस्मिल सईदी
डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से साभार उद्धृत
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Azm-e-insaan hai ki ban jaaye farishta lekin,
har farishte ko yeh hasrat hai ki insaan hota
Sher/Couplet: Bismil Sayeedi
Gratefully excerpted from “Aaina-e-Ghazal” of Dr. Zarina Sani and Dr. Vinay Waikar, 5th revised edition, 2002, Shree Mangesh Prakashan, Nagpur.