Category Archives: Humor

पिल्ला होने का सुख

पिल्ला बैठा कार में, मानुष ढोवें बोझ भेद न इसका मिल सका, बहुत लगाई खोज बहुत लगाई खोज, रोज़ साबुन से न्हाता देवी जी के हाथ, दूध से रोटी खाता कहँ ‘काका’ कवि, माँगत हूँ वर चिल्ला-चिल्ला पुनर्जन्म में प्रभो! … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , | Comments Off on पिल्ला होने का सुख

भोजन हिताय (बेढब बनारसी)

अर्पित है मेरा मनुज काय भोजन हिताय, भोजन हिताय व्रत का मैंने कर बायकाट पूरी हलवे से उदर पाट देखा भोजन में ही विराट जितने जग में हैं सम्प्रदाय भोजन हिताय, भोजन हिताय

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , | Comments Off on भोजन हिताय (बेढब बनारसी)

जम और जमाई

बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद सास – ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ मेहनत करो , कमाओ , इसको देते जाओ कहॅं ‘ काका ‘ कविराय … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , | Comments Off on जम और जमाई

जसोदा हरि अंग्रेज़ी पढ़ावै…

जसोदा हरि अंग्रेज़ी पढ़ावै मेरो लाल “कॉन्वेंट” जात है, “इंग्लिश पोइम” गावै “टाटा” कहि जब विदा होति है, रोम-रोम हर्षावै “आंटी” सुनि चाची बलि जावै, “अंकल” मूंछ फड़कावै “डांस” करत “कज़िन सिस्टर” संग, नंदबाबा मुस्कावै बरसाने या छवि को निरखत … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature, Patriotic | Tagged , , , , , , , , , , | Comments Off on जसोदा हरि अंग्रेज़ी पढ़ावै…

हिंदी की दुर्दशा

(काका हाथरसी के शब्दों में) बटुकदत्त से कह रहे, लटुकदत्त आचार्य सुना? रूस में हो गई है हिंदी अनिवार्य है हिंदी अनिवार्य, राष्ट्रभाषा के चाचा- बनने वालों के मुँह पर क्या पड़ा तमाचा कहँ ‘ काका ‘ , जो ऐश … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature, Patriotic | Tagged , , , , , , , , , , , , , | Comments Off on हिंदी की दुर्दशा