जसोदा हरि अंग्रेज़ी पढ़ावै
मेरो लाल “कॉन्वेंट” जात है, “इंग्लिश पोइम” गावै
“टाटा” कहि जब विदा होति है, रोम-रोम हर्षावै
“आंटी” सुनि चाची बलि जावै, “अंकल” मूंछ फड़कावै
“डांस” करत “कज़िन सिस्टर” संग, नंदबाबा मुस्कावै
बरसाने या छवि को निरखत अँगरेज़हु शरमावै
—–
(रचना: अज्ञात / रजनीश तिवारी द्वारा स्मृति के आधार पर साभार उद्धृत)