Tag Archives: Sher-o-Shayari

“आपकी क़सम” / Aapki Qasam

आप ख़ुद ही सोचिये मैं हूँ उन्हें कितना अज़ीज़ वो ख़ुदा को छोड़कर मेरी क़सम खाने लगे शेर: शकील बदायूँनी 

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मुहब्बत का अंजाम / Muhabbat Ka Anjaam

ऐ मुहब्बत, तेरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यों आज, तेरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

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अज़्म-ए-इन्साँ / Azm-e-insaan

अज़्म-ए-इन्साँ  है कि बन जाये फ़रिश्ता लेकिन। हर फ़रिश्ते को ये हसरत है कि इन्साँ  होता।। (*अज़्म = ख्वाहिश, संकल्प, determination) शेर: बिस्मिल सईदी डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, श्री मंगेश प्रकाशन, … Continue reading

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