चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की,
न तुम मेरी तरफ देखो ग़लत-अंदाज़ नज़रों से |
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों में,
न जाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से ||
चलो एक बार फिर से…
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से,
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराये हैं |
मेरे हमराह भी रुस्वाइयाँ हैं मेरे माज़ी की,
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साये हैं ||
चलो एक बार फिर से…
तअर्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर,
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा |
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा ||
चलो एक बार फिर से…
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों
चलो एक बार |
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रुस्वाइयाँ = बदनामियाँ (disgrace)
माज़ी = अतीत, गुज़रा हुआ ज़माना (past)
तअर्रुफ़ = जान-पहचान (acquaintance)
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Chalo Ek Baar Phir Se Ajnabi Ban Jaayen Ham Donon (@YouTube)
गीत: साहिर लुधियानवी (Lyric: Sahir Ludhiyanvi)
संगीत: रवि (Music: Ravi)
गायक: महेंद्र कपूर (Singer: Mahendra Kapoor)
फिल्म: गुमराह (Film: Gumraah)