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Tag Archives: शास्त्रीय संगीत पर व्यंग्य
शास्त्रीय संगीत (काका हाथरसी)
तम्बूरा ले मंच पर, बैठे प्रेमप्रताप, साज मिले पंद्रह मिनिट, घंटाभर आलाप। घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता, धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। कहें काका, सम्मेलन में सन्नाटा छाया, श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया।
Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature
Tagged Kaka Hathrasi, Poems, Satire, काका हाथरसी, व्यंग्य, शास्त्रीय संगीत पर व्यंग्य, हास्य कवितायें, हिन्दी, हिन्दी पद्य
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