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Tag Archives: Sahir Ludhiyanvi
पर्बतों के पेड़ों पर…
पर्बतों के पेड़ों पर, शाम का बसेरा है सुरमई उजाला है, चंपई अँधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं, दो दिलों की सूरत से आसमाँ ने खुश होकर, रंग सा बिखेरा है
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged 1964, Alankaar Songs, Kamaljeet, Kamaljit, Khayyam, Lyrics of Hindi Film Songs, Mohd. Rafi, Sahir Ludhiyanvi, Shagoon, Suman Kalyanpur, Waheeda Rehman, अलंकार भरे गीत, उर्दू (हिन्दुस्तानी), कमलजीत, खय्याम, मोहम्मद रफ़ी, वहीदा रहमान, शगुन, साहिर लुधियानवी, सुमन कल्याणपुर, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९६४
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तेरी दुनिया में जीने से तो…
तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1955, Devanand, Hemant Kumar, House No. 44, Kalpana Kartik, S.D. Burman, Sad Songs, Sahir Ludhiyanvi, उर्दू (हिन्दुस्तानी), कल्पना कार्तिक, दर्द भरे नग्मे, देवानंद, सचिन देव बर्मन, साहिर लुधियानवी, हाउस नं. ४४, हिन्दी, हेमंत कुमार, फ़िल्मी गीत, १९५५
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जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा
मुखड़ा (रफ़ी, रहमान के लिये स्वर): फिरते थे जो बड़े ही सिकंदर बने हुये बैठें हैं उनके सर पे कबूतर बने हुये गीत (रफ़ी): जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा तौबा, उस प्यार से तौबा…
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Humor, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1958, Khayyam, Mala Sinha, Mohd. Rafi, Mukesh, Phir Subah Hogi, Raj Kapoor, Rehman, Sahir Ludhiyanvi, उर्दू (हिन्दुस्तानी), खय्याम, फिर सुबह होगी, माला सिन्हा, मुकेश, मोहम्मद रफ़ी, रहमान, राज कपूर, साहिर लुधियानवी, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९५८
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फैली हुई हैं सपनों की बाहें…
फैली हुई हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर वहीँ मेरी मंज़िल, वहीं तेरी राहें आजा चल दें कहीं दूर
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature
Tagged 1955, Alankaar Songs, House No. 44, Kalpana Kartik, Lata Mangeshkar, S.D. Burman, Sahir Ludhiyanvi, अलंकार भरे गीत, कल्पना कार्तिक, लता मंगेश्कर, सचिन देव बर्मन, साहिर लुधियानवी, हाउस नं. ४४, हिन्दी, हिन्दी पद्य, फ़िल्मी गीत, १९५५
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रात भी है कुछ भीगी-भीगी…
रात भी है कुछ भीगी-भीगी, चाँद भी कुछ है मद्धम-मद्धम तुम आओ तो आँखें खोले, सोई हुई पायल की छम-छम
Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani)
Tagged 1963, Alankaar Songs, Jaidev, Mujhe Jeene Do, Poems, Sahir Ludhiyanvi, Social Theme, Sunil Dutt, Waheeda Rehman, अलंकार भरे गीत, उर्दू (हिन्दुस्तानी), जयदेव, मुझे जीने दो, वहीदा रहमान, साहिर लुधियानवी, सुनील दत्त, हिन्दी, फ़िल्मी गीत, १९६३
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