Tag Archives: Pearls of Wisdom

कर्महीन

कहा दोष करतार को, कर्म कुटिल गह बाँह कर्महीन किलपत रहै, कल्प वृक्ष की छाँह ——– श्रेणी: बुन्देलखंड की लोकोक्तियाँ स्रोत: दोहा ज्ञान अमृत सागर (संग्रहकर्ता: श्री देवीदीन विश्वकर्मा, कीरतपुरा, महोबा, उ.प्र.) मुद्रक: गोपाल ऑफसेट प्रेस (मऊरानीपुर, झाँसी, उ.प्र.) श्री … Continue reading

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केरि-बेरि को संग

कहि रहीम कैसे निभै, केरि-बेरि को संग वा डोलत रस आपने, इनके फाटत अंग कवि: अब्दुर्रहीम खान खाना / Abdul Rahim Khan-I-Khana

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ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया

ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया शैतानों की बस्ती है, यहाँ ज़िन्दगी सस्ती है ये दुनिया…

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