-
Archives
- October 2023
- December 2021
- November 2017
- October 2017
- August 2017
- July 2017
- June 2017
- May 2017
- October 2016
- April 2016
- March 2016
- July 2015
- February 2015
- November 2014
- August 2014
- July 2014
- June 2014
- April 2014
- January 2014
- December 2013
- November 2013
- October 2013
- September 2013
- August 2013
- June 2013
- May 2013
- March 2013
- January 2013
- December 2012
- November 2012
- September 2012
- August 2012
- March 2012
- February 2012
- January 2012
- December 2011
- October 2011
- September 2011
- August 2011
- May 2011
- April 2011
- March 2011
- February 2011
- January 2011
- December 2010
-
Meta
Tag Archives: ज़रीना सानी
फुटपाथ और घर
सोते हैं जो फुटपाथ पे वो सोच रहे हैं घर जिनके सलामत हैं वो घर क्यों नहीं जाते । — शेर: सतनाम सिंह ‘हुनर’
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Aaina-e-Ghazal, Satnam Singh 'Hunar', Sher-o-Shayari, Vinay Waikar, Zarina Sani, आईना-ए-ग़ज़ल, उर्दू (हिन्दुस्तानी), विनय वाईकर, व्यंग्य, शेरो-शायरी, सतनाम सिंह 'हुनर', ज़रीना सानी
Comments Off on फुटपाथ और घर
दोनों जहान
दोनों जहान देके वो समझे कि ये खुश रहा यहाँ आ पड़ी ये शर्म कि तकरार क्या करें शेर: मिर्ज़ा ग़ालिब डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण 2002, पृष्ठ 64,श्री मंगेश प्रकाशन, नागपुर) से … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Aaina-e-Ghazal, Sher-o-Shayari, Vinay Waikar, Zarina Sani, आईना-ए-ग़ज़ल, उर्दू (हिन्दुस्तानी), मिर्ज़ा ग़ालिब, विनय वाईकर, हिन्दी, ज़रीना सानी
Comments Off on दोनों जहान
हौसला
वो ज़िन्दगी का सफ़र हो कि जंग का मैदान मुहाज़ कोई भी हो, हौसला ज़रूरी है * —- * शब्दार्थ मुहाज़ = (war) front —- शेर: इदरीस ज़िया डॉ. ज़रीना सानी और डॉ. विनय वाईकर की पुस्तक “आईना-ए-ग़ज़ल” (पाँचवां संशोधित संस्करण … Continue reading
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Aaina-e-Ghazal, Idris Zia, Poems, Sher-o-Shayari, Vinay Waikar, Zarina Sani, आईना-ए-ग़ज़ल, इदरीस ज़िया, उर्दू (हिन्दुस्तानी), विनय वाईकर, शेरो-शायरी, हिन्दी, ज़रीना सानी
Comments Off on हौसला
मेअराज-ए-सितम
देखना चाहो अगर तुम अपनी मेअराज-ए-सितम मुस्कुरा देना मेरी बरबादी-ए-दिल देखकर
Posted in Hindi | हिन्दी, Literature, Sher-o-Shayari, Urdu (Hindustani)
Tagged Aaina-e-Ghazal, Shakeel Badayuni, Sher-o-Shayari, Vinay Waikar, Zarina Sani, आईना-ए-ग़ज़ल, उर्दू (हिन्दुस्तानी), विनय वाईकर, शकील बदायूँनी, हास्य कवितायें, हिन्दी, ज़रीना सानी
Comments Off on मेअराज-ए-सितम