Tag Archives: हिन्दी पद्य

शहरी जेबकतरा

बस में अपनी जेब कटती देख, यात्री ने शोर मचाया जेबकतरा उसे पकड़ कर थाने लाया और थानेदार से बोला, हुज़ूर, यह आदमी शहर में अव्यवस्था फैलाता है हमें शांतिपूर्वक जेब नहीं काटने देता गँवारों की तरह चिल्लाता है थानेदार … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor, Literature | Tagged , , , , , , , , , , , , | Comments Off on शहरी जेबकतरा

दशकों बाद …

दशकों बाद मुझसे किसी की मुलाकात हुई । शांत पानी में छलकती एक प्रतिबिम्ब की तरह, उपवन के उस कोने में खिले उस अनजाने गुलाब की अनजानी सुगंध की तरह, वर्षा की पहली फुहार के साथ, खिड़की से आती उस … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Literature | Tagged , , , , | Comments Off on दशकों बाद …

तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस

एक बार बहुत पहले ये कविता कहीं पढ़ी थी। लिखी तो गयी थी ये संभवतः साठ-सत्तर के दशक के भारत के लिये। पर आज तो लगता है कि जैसे ये अब ग्रीस (यूनान) पर भी चरितार्थ होती है: आय इकाई, … Continue reading

Posted in Hindi | हिन्दी, Humor | Tagged , , , , , , , , , , , , , | Comments Off on तत्कालीन भारत और आधुनिक ग्रीस

क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली…

क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली, फिर कौन किसी का होता है ऐ दुनिया वालो सच कहो, क्या प्यार भी झूठा होता है

Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature, Urdu (Hindustani) | Tagged , , , , , , , , , , , , , , , , | Comments Off on क़िस्मत बिगड़ी, दुनिया बदली…

ज़माने का दस्तूर है ये पुराना

ज़माने का दस्तूर, है ये पुराना मिटा कर बनाना, बना कर मिटाना ज़माने का दस्तूर, है ये पुराना

Posted in Film Lyrics, Hindi | हिन्दी, Literature | Tagged , , , , , , , , , , , , , , , , , | Comments Off on ज़माने का दस्तूर है ये पुराना