Tag Archives: साहिर लुधियानवी

पर्बतों के पेड़ों पर…

पर्बतों के पेड़ों पर, शाम का बसेरा है सुरमई  उजाला है, चंपई अँधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं, दो दिलों की सूरत से आसमाँ ने खुश होकर, रंग सा बिखेरा है

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तेरी दुनिया में जीने से तो…

तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जायें वही आसूँ वही आहें वही ग़म है जिधर जायें

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जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा

मुखड़ा (रफ़ी, रहमान के लिये स्वर): फिरते थे जो बड़े ही सिकंदर बने हुये बैठें हैं उनके सर पे कबूतर बने हुये गीत (रफ़ी): जिस प्यार में ये हाल हो, उस प्यार से तौबा तौबा, उस प्यार से तौबा…

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फैली हुई हैं सपनों की बाहें…

फैली हुई हैं सपनों की बाहें, आजा चल दें कहीं दूर वहीँ मेरी मंज़िल, वहीं तेरी राहें आजा चल दें कहीं दूर

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रात भी है कुछ भीगी-भीगी…

रात भी है कुछ भीगी-भीगी, चाँद भी कुछ है मद्धम-मद्धम तुम आओ तो आँखें खोले, सोई हुई पायल की छम-छम

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