Tag Archives: सामाजिक बुराइयाँ

चंद्रयात्रा और नेता का धंधा

ठाकुर ठर्रा सिंह से बोले आलमगीर पहुँच गये वो चाँद पर, मार लिया क्या तीर? मार लिया क्या तीर, लौट पृथ्वी पर आये किये करोड़ों ख़र्च, कंकड़ी मिट्टी लाये ‘काका’, इससे लाख गुना अच्छा नेता का धंधा बिना चाँद पर … Continue reading

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नेता और चुनावी टिकट

हमने परिचित नेता से प्रश्न किया: आपने जिस ढंग से अपने सिर पर टोपी लगाई उसे देखकर सभी की बुद्धि भरमाई आपको देखकर लोग कई तरह के अनुमान लगा रहे हैं अतः कृपया बतायें कि आप पार्टी में आ रहे … Continue reading

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निरादरणीय दल-बदलू जी…

निरादरणीय दल-बदलू जी, बार-बार धिक्कार सुना है आपने दूसरा दल भी छोड़ दिया अपना भाग्य फोड़ा या उनका फोड़ दिया लोग व्यर्थ ही संशय करते हैं कि आप कैसे हैं किंतु आप क्या करें आपके संस्कार ही ऐसे हैं अस्पताल … Continue reading

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ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया

ये दुनिया, ये दुनिया, हाय हमारी ये दुनिया शैतानों की बस्ती है, यहाँ ज़िन्दगी सस्ती है ये दुनिया…

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