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रात गई फिर दिन आता है…

रात गई फिर दिन आता है इसी तरह आते-जाते ही, ये सारा जीवन जाता है…

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रावण के राज में

मेरी नन्ही-सी बिटिया मुनमुन, अक्सर विचारों को लेती है बुन, मैंने उसे रावण का पुतला दिखाया,

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रेल के डिब्बे में रामराज

डिब्बा था रेल का, तूफ़ान मेल का डिब्बे में डाकू थे डाकुओं के हाथों में, बंदूकें-चाकू थे पचहत्तर यात्री थे यात्रियों में एक थे, खद्दर के कपड़ों में दिखते थे नालायक, लेकिन विधायक थे

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हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में इस वर्ष का हिंदी गहन अध्ययन कोर्स सफलतापूर्वक संपन्न

राम प्रसाद भट्ट हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी पिछले वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी अगस्त माह में डॉ. राम प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में ‘हिंदी गहन अध्ययन कोर्स’ का आयोजन किया गया। इस बार यह कोर्स दो … Continue reading

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औरत ने जनम दिया मर्दों को…

औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में नंगी नचवाई जाती है, अय्याशों के दरबारों में ये वो … Continue reading

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