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ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की

ज़िंदगी जी नहीं बर्दाश्त की ऊसर में काश्त की !

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पति के नाम का रोना

अपने पति के नाम का रोना रोते हुये एक महिला ने कहा, सुनो बहन, इस इंसान के पीछे मैंने क्या-क्या दुःख नहीं सहा मैं बीस वर्षों से इसके साथ जी नहीं सड़ रही हूँ यही समझो कि धीरे-धीरे मर रही हूँ

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