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हमें ऐ दिल कहीं ले चल…

हमें ऐ दिल कहीं ले चल, बड़ा तेरा करम होगा हमारे दम से है हर ग़म न हम होंगे, न ग़म होगा हमें ऐ दिल कहीं ले चल…

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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता

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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

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चाहे कोई खुश हो, चाहे गालियाँ हज़ार दे

चाहे कोई खुश हो, चाहे गालियाँ हज़ार दे मस्तराम बन के ज़िन्दगी के दिन गुज़ार दे

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